हर इश्क़ का एक वक्त़ होता है,
और ये वक्त़ किताबों से इश्क करने का है।
तु चल दम जब तक है ‘तनवीर’
चराग़ लेकर इन हवाओं के सामने
तु मुसाफ़िर बस नासमझ है ‘तनवीर’
बस तु कमजोर कभी न बन
इस जहां में इश्क़-ए-मुकम्मल बड़ा है,
मुश्किल ‘तनवीर’
ऐसा कर, तु इस रास्ते से कभी चला ही मत कर
इश्क एक बुखार है,’तनवीर’
जितना हो सके इससे दूरी बनाए जाएं🙏
तु खुद को अदीब ने समझ ‘तनवीर’
तु बस एक हरुफ है
क्या इन रक़ीबो के चक्कर में है ‘तनवीर’
तूझे तो दुनिया फतेह करना है।
हमारी रज़ा से क्या होता है, ‘तनवीर’
मुकम्मल मुहब्बत तो, दोतरफा होता है
तु उस सफ़ीना को चाह ‘तनवीर’
जिसके बदौलत पुरी दुनिया पाईं जा सके
ठोकर, कठिनाइ और झेली है दुःख ‘तनवीर’
तो मंजिल का निशां भी उसी ठोकर से मिला है
नशा, जुआं, बईमानी सब हराम है ‘तनवीर’
ये मुद्दते खुदाई कहता है
तु बुलंद-ए-आवाज़ बन ‘तनवीर’
अवामों की दुआं में बड़ा शकुन बसता है
फिर वही ख़्वाब वहीं जिद़ है, ‘तनवीर शेख़’
हम अपने ख्वाबों से समझौता नहीं करने वाले
जिद़ एक बेतहां नशा है ‘तनवीर’
हम उसूलों से बगावत नहीं करने वाले
सफ़ीना न होती तो मशगूल कहां रहते ‘तनवीर’
शायद इश्क़ के बुखार बन बैठे रहते
चेहरे साफ दिल बेदाग़ ‘तनवीर’
उफ़ ये दुनिया फ़िर भी बेज़ार
कुछ तो है ‘तनवीर’ जिससे हौसले बुलंद होते हैं
ये सोच सोच कर दिल में कुछ हरारत सी होती है
तु अब बेदार बन 'तनवीर'वरना दुनिया बैतूल हो बैठेंगी ये मशगूलियत ये शोहरत सब बेज़ान है, 'तनवीर'जहा मोहब्बत का नामोनिशान नहीं
यूं बादलों की तरह चलता रह ‘तनवीर’
ठहरे हुए चीजों की कद्र नहीं होती
लहराता हुआ सैलाब़ बन ‘तनवीर’
रुकें हुए पानी की कहा क़ीमत होती है
हो न यूं मायूस ख़ुदा से ‘तनवीर’
तेरे सपने भी तेरे क़दम चूमेंगे
ज़मीं-ए-आसमा का बड़ा फासला है ‘तनवीर’
जैसे दो जिस्म एक जान हो
ये जो मिट्टी की खुशबू है 'तनवीर'जैसे मेरी मां की आंचल होयूं खूबसूरती बयां न कर तनवीरकुछ चीजों की तारीफ नगारा हो जाती है
यूं ही मज़े में रहने का ‘तनवीर’
जिंदगी के मज़े में संजिदा रहने का
यूं बेरुखी की जिंदगी जिया ने करों ‘तनवीर’
ज़रा ग़म में हस के भी देखा करों
खुशियों का अंबार बनूं
अपने हौसलों से बेदार बनूं
चाह है, कि बेमिसाल बनूं
ख़ूब ख्वाब देखो तनवीर
ज़हन में इस ज्वाला को दहकते रहने दो
इश्क़ में ऐ ‘तनवीर’ तराना प्यार लिखता हूं
यूं ही तेरे लिए फ़राज़ लिखता हूं
इश्क़ और सफलता में बैर है ‘तनवीर’
मगर हम भी वो धनुर्धर है
जिसे तीर भी चलानी है और पंछी भी बचानी है
यूं आईना न बन ‘तनवीर’
इस दुनिया में पत्थर से तोड़ा जाएगा
मैं हक़ लिखूंगा तुम हमें मिताओगे
इस मुल्क में ये पल भी आएगा
हमेशा अपने मन को भावशून्य रखें बैठे
क्या पता हमारी छोटी गलतियां गुनाह हो बैठे
यूं मुझे हैरत-हसरत से न देख
कातिब नहीं नदीम हूं मैं 🙏
Written by tanveer sheikh
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