तुम किस कदर गुलाम बनाना चाहते हो,
हम जानते हैं।
तुम सोने जैसी मिट्टी को बंजर बनाना चाहते हो, हम जानते हैं।
तुम पुंजिपति के कठपुटली बन बैठे हो,
हम जानते हैं।
तुम हम गरीबों का हक उन्हें देते हो,
हम जानते हैं।
तुम तो हिटलर से भी बदहाल शाशन करना चाहते हो, हम जानते हैं।
तुम हमें चुस-चूस कर अपनी जेबें भरते हो,
हम जानते हैं।
तुम जानते हो कि हम सब जानते हैं फिर तुम अंजान बनकर रहेते हो, हम जानते हैं।
तुम हमें सिर्फ अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हो, हम जानते हैं।
हम सब जानते है फिर भी हम गुलामों की तरह ख़ामोश है, ये तुम जानते हो और हम भी जानतें हैं।
Written by tanveer sheikh
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