गीत लिखता हूं, ग़ज़ल लिखता हूं
शामों-वो-शहेर पहेर लिखता हूं
खेत लिखता हूं, खलिहान लिखता हूं
अंधेरों में दीप मशाल लिखता हूं
दुःख लिखता हूं, प्यार लिखता हूं
भारत की मिट्टी में तप्ता किसान लिखता हूं
महंगाई लिखता हूं, बेरोजगार लिखता हूं
भूख से कहाड़ता इंसान लिखता हूं
अशिक्षा लिखता हूं, अंधकार लिखता हूं
मैं हर बार यही सवाल लिखता हूं
नौजवानों का दहेकता शोला अंगार लिखता हूं
मैं फिर से इंकलाब लिखता हूं 🙏
written by तनवीर शेख़
0 टिप्पणियां