जन्म के अधिकार से,
आत्मा की पुकार से,
बनूं मैं लहू, बनूं मैं लहू।
पिता के दुलार से,
मां की पिचकार से,
बनूं मैं लहू, बनूं मैं लहू।
दुनिया के भीड़ से,
अपने मन के चीड़ से,
बनूं मैं लहू, बनूं मैं लहू।
आलोचकों की ज़ुबान से,
अपने हौसलों की उड़ान से,
बनूं मैं लहू, बनूं मैं लहू।।
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